Let us start changing ourselves and India from within. In the process of change we should also change our image of soft state . We must remember Iron Man of India -- Sardar Vallabha Bhayi Patel and follow him.
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Friday, 18 March 2016
बदलता भारत -- पुस्तकालय,वाचनालय योजना
( साईं होरी ट्रस्ट द्वारा संचालित )
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पुस्तकालय , वाचनालय ,सभागार योजना
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भूमिका
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हमारा देश प्राचीनतम संस्कृति का देश है । विश्व में सर्वाधिक बोली,भाषायें संस्कृतियाँ इसी देश भारत में मिलती हैं । विकास की यात्रा में यह परम आवश्यक है कि हम अपनी पहचान , अपना इतिहास सुरक्षित रखें । किसी ने ठीक ही कहा है --------
'यूनान मिश्र रोमां सब मिट गये जहाँ से ,
कुछ हस्ती है हमारी , मिटती नहीं जहाँ से ।'
प्राचीन भारत में भी नालंदा जैसे शिक्षा केन्द्र अपने विश्व प्रसिद्ध पुस्तकालयों के लिये जाने जाते थे जहाँ विदेशी भारी संख्या में विद्याध्ययन के लिये आते थे । हमारा देश विश्व गुरू था ।दुनियाँ में सर्वाधिक पुस्तकें हम प्रकाशित करते थे ,परन्तु कालान्तर में विदेशी आक्रमणों से स्थितियां निरन्तर खराब होती गईं और आज हम पिछड़ गये ।
आइये हम संस्कृति और इतिहास के संरक्षण के लिये देश में प्रभावी अभियान चलायें ।" बदलता भारत " ने आरम्भ की है -----
" पुस्तकालय , वाचनालय ,सभागार योजना"
इस योजना से देश की संस्कृति ,इतिहास के संरक्षण के साथ साथ शिक्षा और ज्ञान के प्रसार तथा विकास और रोजगार में आशातीत लाभ होगा ।
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योजना क्या है ?
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प्रत्येक जनपद के नगर निगम , नगर पालिका में एक ऐसा पुस्तकालय हो जहाँ कम्पटीशन से सम्बन्धित पुस्तकें रखी जाँय ।नई पीढ़ी को आगे बढ़ाने के लिये ।
अभियान--
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आइये हम सब अपने अपने क्षेत्रों में यह माँग उठायें ,अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से मिलें ।
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Sunday, 6 March 2016
मनरेगा का कृषि से पूर्ण सम्बद्धीकरण
विषय -- मनरेगा का कृषि से पूर्ण सम्बद्धीकरण
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प्रिय महोदय,
मनरेगा के आरम्भ से कुछ कठिनाइयाँ उत्पन्न हुईहैं जिनका श्रमिकों, किसानों ,कृषि और राष्ट्र के हित में निराकरण अति आवश्यक है ------
1-- मनरेगा में कार्यों के समाप्त या कम हो जाने के कारण श्रमिकों को रोज़गार कम मिलने लगा है -- भौतिक और वित्तीय आँकड़े प्रमाण हैं ।
2-- काम की कमी के कारण और दबाव में धन के समयबद्ध व्यय करने के कारण विभिन्न स्तरों पर भ्रष्टाचार बढ़ा है , कार्य बिना किये भुगतान या गुणवत्ता ख़राब की शिकायतें आम हैं ।
3-- किसानों की कृषि मज़दूरी बढ़ जाने और श्रमिकों के कम उपलब्ध होने के कारण खेती में लागत बढ़ी है , इससे किसान की आर्थिक स्थिति दिन पर दिन ख़राब हो रही है । किसानों में आत्म हत्याओं की संख्या बढ़ी है ।
4-- श्रमिकों की कम उपलब्धता के कारण कृषि उत्पादन घट रहा है
भारत सरकारऔर प्रदेश सरकारों ने यद्यपि किसानों के लिये कुछ नये उपाय किये हैं पर वे नाकाफ़ी हैं । मैं स्वयं ,उत्तर प्रदेश के कुछ जनपदों में मुख्य विकास अधिकारी के रूप में काम करते हुये मनरेगा सहित समग्र ग्राम विकास योजनायें देख चुका हूँ । विभिन्न जनपदों में किसानों के मध्य "बदलता भारत" संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में लगातार काम कर रहा हूँ । अपने व्यापक अनुभवों के आधार पर मेरा सुझाव है ---
मनरेगा योजना से ही किसानों के प्रमाणपत्र के आधार पर खेती में काम का भुगतान किया जाय । इसके लिये नियम बनाये जायें ,शासनादेश जारी करते हुये कृषि के समस्त कार्यों के लिये कृषक को मनरेगा के मज़दूर उपलब्ध कराये जाँय जिनकी मज़दूरी का भुगतान किसान के सत्यापन के आधार पर वर्तमान व्यवस्था के अनुसार किया जाय ।
उक्त व्यवस्था लागू होते ही उल्लिखित चारों समस्यायें / कठिनाइयाँ स्वत: ही दूर हो जायेंगी और राष्ट्र का विकास होगा , ग्रामीण मज़दूर और किसान दोनो लाभान्वित होंगे ।इस सम्बन्ध में मैं व्यापक प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकता हूँ यदि अवसर दिया जाय ।
भवदीय
राज कुमार सचान होरी
पूर्व प्रशासनिक अधिकारी , राष्ट्रीयअध्यक्ष - बदलता भारत
www.horibadaltabharat.blogspot.com
www.horiindianfarmers.blogspot.com
09958788699(what's app ) 07599155999
Email -- horirajkumar@gmail.com
176 Abhaykhand -1 Indirapuram , Ghaziabad 201014
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Tuesday, 1 March 2016
Future of India -- farmers & army
भारत का भविष्य
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जय जवान ! जय किसान !!
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अगर देश में एक भी किसान दुखी न रहे और जवान को सुविधायें और देश का सम्मान मिलता रहे तो यह तय है कि यह देश दुबारा कभी ग़ुलाम न होगा । इतना सशक्त होगा कि विश्व शक्ति बनें ।
पर देश को कमजर्फ नेताओं और कमीनी राजनीति से बचाना होगा । पूरा देश राष्ट्रवादी बन जायेगा अगर यह न समझा जाय कि हिन्दू का विरोध और अपमान ही धर्मनिरपेक्षता है । सही ,शरीफ़ मुसलमान या हिन्दू हमेशा देशप्रेमी होता है वहमिल कर रहना चाहता है पर कुछ सिरफिरे नेता हिन्दू मुस्लिम को लड़ा कर कुर्सी का गन्दा खेल खेलते हैं , तभी वे ही लोग किसानों और जवानों को हर सम्भव अपमानित करते हैं ।
किसानों और जवानों को शक्तिशाली बनायें राष्ट्र को संगठित और शक्तिशाली बनायें।
जय जवान, जय किसान ,जय पटेल, जय सुभाष, जय हिन्द
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राजकुमार सचान होरी
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HORI KAHIN
होरी कहिन
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१--
फूल और फल अब रहे,चहुँ दिशि में नक्काल ।
होरी अपने देश में , बड़े बड़े भोकाल ।।
बड़े बड़े भोकाल , नक़ल में अकल लगाते ।
दुनियाभर का माल ,नक़ल में असल बनाते ।।
कवि लेखक भी नक़ली,नक़ली नक़ली हैं स्कूल ।
सूँघ रहे हम जिन्हें चाव से , वे भी नक़ली फूल ।।
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२--
पढ़ लिख कर डिग्री लिये , फिरते चारों ओर ।
पढ़े लिखों में बढ़ रही , बेकारी घनघोर ।।
बेकारी घनघोर , डिग्रियाँ भी कुछ जाली ।
असली नक़ली खोखली कुछ तो चप्पे वाली ।।
स्किल डेवलप एक रास्ता , तू आगे बढ़ ।
स्किल डेवलप कोर्सों को ही ,अब तू पढ़ ।।
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३--
सत्तर प्रतिशत गाँव में ,अब भी देश सचान ।
कुछ भूखे नंगे मिलें , कुछ के निकले प्रान ।।
कुछ के निकले प्रान , मगर वे हैं बेचारे ।
बस शहरों की राजनीति के , मारे सारे ।।
फ़सलों की लागत कम होती ,नहीं कभी भी।
अब गाँवों की दशा ,दुर्दशा हाय ग़रीबी ।।
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४--
सभी अन्नदाता दुखी , तिल तिल मरे किसान ।
देश बढ़ रहा शान से , कहते मगर सचान ।।
कहते मगर सचान , देश में ख़ुशहाली है ।
यह किसान को सुन सुन कर , लगती गाली है।।
होरी अब भी गोदानों की , वही कहानी है ।
धनिया , गोबर वही , गाँव का वह ही पानी है ।।
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राज कुमार सचान होरी
१७६ अभयखण्ड -१ इंदिरापुरम , गाजियाबाद
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