Let us start changing ourselves and India from within. In the process of change we should also change our image of soft state . We must remember Iron Man of India -- Sardar Vallabha Bhayi Patel and follow him.
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Thursday, 10 December 2015
Monday, 25 May 2015
Achchhe din to aayenge
दोहे --- "अच्छे दिन तो आयेंगे "
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१-- अच्छे दिन तो आयँगे , आज नहीं तो कल ।
अगर कभी राजा नहीं , करे तिजोरी छल ।।
२-- अच्छे दिन तो आयँगे ,भ्रष्ट न हों यदि आप ।
ईमानदार हरते सदा , धरती का संताप ।।
३-- अच्छे दिन तो आयँगे , रखें आश विश्वास ।
बस भ्रष्टों को फिर नहीं , करें कभी भी पास ।।
४-- अच्छे दिन तो आयँगे , बुरे न यदि सरताज ।
कल से लें हर सबक़ को , सुधरेगा तब आज ।।
५-- अच्छे दिन तो आयँगे , कंस रहें यदि दूर ।
और मारते ही रहें , रावण को भरपूर ।।
६-- अच्छे दिन तो आयँगे ,रहे प्रजा का राज ।
और किसी परिवार पर , कभी न साजें ताज ।।
७-- अच्छे दिन तो आयँगे ,रहे प्रजा का राज ।
प्रजा करे निगरानियाँ , देखे सारे काज ।।
८-- अच्छे दिन तो आयँगे , हो अच्छों का राज ।
फिर भ्रष्टों का दें नहीं , यहाँ कभी भी ताज ।।
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राज कुमार सचान "होरी"
राष्ट्रीय अध्यक्ष -- बदलता भारत ( INDIA CHANGES )
Sunday, 17 May 2015
INDIA -CHANGES {बदलता भारत }: व्यंग्य
INDIA -CHANGES {बदलता भारत }: व्यंग्य: व्यंग्य ----------------- देश की चिन्ता ---------------------------------- होरी जी आजक...
व्यंग्य
व्यंग्य
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देश की चिन्ता
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होरी जी आजकल देश की चिन्ता को अपनी चिन्ता समझ दुबले हुये जा रहे हैं ।देश की चिन्ता और अपनी चिन्ता में बस यही फ़र्क़ है कि अपनी चिन्ता में वह कुछ करता है , कम से कम हाथ पैर तो मारता ही है; पर देश की चिन्ता में वह कर कुछ नहीं पाता बस दुबलाता रहता है । दुबले होने में भी एक विशेषता है -- कमज़ोरी सी बनी रहती है ,भूख नहीं लगती , भ्रम के स्थायीभाव में रहता है ,दिन भर और ख़ासकर रात में देश देश चिल्लाता है पर खाता ख़ूब है । शायद देश के टेंशन में खाता है जो भी मिल जाय , जहाँ भी मिल जाय ।मेरे भी आजकल यही लक्षण हो रहे हैं । शायद आप भी इसी बीमारी के शिकार तो नहीं हो गये ?
देश का कोई भी क्षेत्र हो वहाँ प्रतिभाओं का घोर अकाल पड़ गया है । देश की सरकार हो चाहे प्रदेश की सरकारें सब परेशान हैं उनके यहाँ प्रतिभाओं का टोटा पड़ गया है । उद्योग हो , व्यापार हो ,राजनीति हो ,शिक्षा हो , खेलकूद हो सब के सब परेशान । सब जगह प्रतिभाओं का अकाल , भीषण अकाल । मैं और मेरे जैसे लोग इसी चिन्ता में परेशान । अब सोचा कि आप से अपने देश की चिन्ता , अपनी चिन्ता को साझा करलूं , शायद कोई रास्ता निकल आये । बात यह है कि सारी प्रतिभायें फ़ेसबुक में अपनी सारी की सारी प्रतिभा लगा रहे हैं । चाहे कोई भी विन्दु हो , विषय हो सबका हल फ़ेसबुक में मिल जायेगा । अब जब सारे प्रतिभावान यहाँ हैं तो बाक़ी क्षेत्रों में तो प्रतिभाओं का टोटा होगा ही । मैं तो इसी चिन्ता में दुबला हुआ जा रहा हूँ आप ही कोई दवा बतायें , शायद मैं और मेरा देश मरने से बच जाय ।
राजकुमार सचान होरी
राष्ट्रीय अध्यक्ष - बदलता भारत ।
पथिक के सौजन्य से
चंचल जी की कविता का आखिरी बंद तो अद्भुत है--
गाँव जाकर क्या करेंगे ?
• गाँव जंगल में बसा अब तक सडक पहुंची नहीं है –
• तडक नल की और बिजली की भडक पहुंची नहीं है
• डानकुओ का घर वहां है कष्ट का सागर वहां है
• हैं कुएं सौ हाथ गहरे दर्द की गागर वहां है
• भग्न सा मन्दिर पड़ा है ,एक सी होली –दीवाली
• देवता की मूर्ति भी तो मूर्ति चोरों ने चुरा ली
• वे चरण भी तो नही छूकर जिन्हें आशीष पाते
• सिर छुपाने को नहीं है ठांव जाकर क्या करेंगे ?
• गाँव जाकर क्या करेंगे ?
गाँव जाकर क्या करेंगे ?
• गाँव जंगल में बसा अब तक सडक पहुंची नहीं है –
• तडक नल की और बिजली की भडक पहुंची नहीं है
• डानकुओ का घर वहां है कष्ट का सागर वहां है
• हैं कुएं सौ हाथ गहरे दर्द की गागर वहां है
• भग्न सा मन्दिर पड़ा है ,एक सी होली –दीवाली
• देवता की मूर्ति भी तो मूर्ति चोरों ने चुरा ली
• वे चरण भी तो नही छूकर जिन्हें आशीष पाते
• सिर छुपाने को नहीं है ठांव जाकर क्या करेंगे ?
• गाँव जाकर क्या करेंगे ?
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